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सतावरि, सतमूली, Asparagus Racemosus

सतावरि, सतमूली, Asparagus Racemosus

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शतावरी के फायदे

आयुर्वेद के अनुसार शतावरी में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य को अलग-अलग प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं। हालांकि, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम में भी शतावरी पर कुछ अध्ययन किए जा चुके हैं, जिनमें पाया गया कि शतावरी से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। शतावरी से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभों में निम्न को शामिल किया जा सकता है 

1. शतावरी बढ़ाए महिलाओं की प्रजनन क्षमता

आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं में प्रजनन क्षमता से संबंधित समस्याओं का इलाज करने के लिए शतावरी को पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार शतावरी का सही इस्तेमाल महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस (Hormonal imbalance) और पीसीओडी (PCOD) के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

2. रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में मदद करे शतावरी

कुछ अध्ययनों में पाया गया कि शतावरी समेत अन्य कई जड़ी-बूटियां हैं, जो महिलाओं में मेनोपॉज के कारण होने वाले लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। 2018 में एक अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि शतावरी से हॉट फ्लैश (अचानक चेहरे व अन्य हिस्सों में गर्मी महसूस होना) और रात के पसीने आना आदि लक्षणों को कम किया जा सकता है।

3. शतावरी रखे मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा

शतावरी का इस्तेमाल प्राचीन समय से ही चिंता, तनाव व अवसाद आदि लक्षणों को कम करने वाली दवा के रूप में किया जा रहा है। 2014 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शतावरी में कई विशेष तत्व पाए जाते हैं, जो सेरोटोनिन (Serotonin) और गामा-अमीनोब्यूटिरिक एसिड (GABA) से परस्पर क्रिया करके चिंता व डिप्रेशन जैसे लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

हालांकि, ऊपर बताए गए शतावरी से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ आमतौर पर अलग-अलग अध्ययनों पर आधारित हैं, जिनमें से कुछ अध्ययन चूहों व अन्य जानवरों पर किए गए हैं। वहीं हर व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति के अनुसार भी शतावरी से मौजूद तत्वों का प्रभाव अलग-अलग होता है।

शतावरी के नुकसान (Side effects of Asparagus racemosus)

यदि उचित मात्रा में शतावरी का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो इसे स्वास्थ्य के लिए आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, सामान्य से अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से सीने में जलन, उल्टी, जी मिचलाना व पेट संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

इसके अलावा कुछ लोग शतावरी से एलर्जिक हो सकते हैं और ऐसे में जब उनका शरीर इसके संपर्क में आता है, तो निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं -

  • सांस लेने में दिक्कत
  • त्वचा या आंखों में खुजली
  • त्वचा पर चकत्ते या हीव्स
  • दिल की धड़कन तेज होना

शतावरी का उपयोग कैसे करें (Uses of Asparagus racemosus)

प्राचीन समय से ही भारत व अन्य कई देशों में शतावरी का भिन्न-भिन्न तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद, सिद्ध व अन्य कई प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों में उपयोग का इस्तेमाल कई दवाएं बनाने के लिए किया जाता है। वहीं कुछ खास प्रकार के व्यंजनों में भी शतावरी का इस्तेमाल किया जाता है। शतावरी का सेवन करने का तरीका -

  • शतावरी के पाउडर को दूध या पानी में मिलाकर
  • थोड़े घी या शहद में मिलाकर
  • काढ़ा बनाकर

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