इन्द्रजौ मीठा Wrightia Tinctoria
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आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में कुटज (holarrhena antidysenterica) की बहुत चर्चा मिलती है। पेट खराब होने, बार-बार पतला शौच आने, शौच के साथ खून आने की बीमारी, पित्त, आम (आंव) आदि की स्थिति या फिर पेट में मरोड़ के साथ दस्त होने पर कुटज का सेवन बहुत की लाभकारी होता है। आइए जानते हैं कि किन-किन रोगों के लिए गुणकारी है यह औषधि।
कुटज के फायदे (Kutaj Benefits and Uses)
अब तक आपने जाना कि कुटज क्या है और इसे कितने नामों से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि भारत के जंगलों में पाया जाने वाले इस वृक्ष का (kutaja plant) औषधीय गुण क्या है, कुटज (holarrhena) के सेवन की विधि क्या है और आप कुटज का उपयोग कैसे कर सकते हैंः-
दांत के दर्द में कुटज का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Kutaj in Dental Pain in)
दांत के दर्द में कुटज के छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से लाभ (indrajav ke fayde) होता है।
पेचिश में कुटज के काढ़ा से फायदा (Kutaj Benefits in Fighting with Dysentery)
40 ग्राम इद्रजौ की छाल को 400 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इतना ही अनार का रस मिला लें। इसे आग पर गाढ़ा कर लें और छह ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सुबह-शाम मिलाकर पिएं। इससे पेचिश में लाभ (indrajav ke fayde) होता है।
कुटज (kutaj) बीज को 50 मिलीग्राम जल में उबाल लें। इसे छानकर शहद मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से पित्तज विकार के कारण होने वाले दस्त (पित्तातिसार) में लाभ या इन्द्रजौ के फायदे होते हैं।
रक्त प्रवाहिका विकार में कुटज से लाभ (Kutaj Uses in Hemophilia)
15 ग्राम कुटज की ताजी छाल को छाछ में पीसकर सेवन करने से रक्तज प्रवाहिका में लाभ (indrajav ke fayde) होता है।
कुटज के सेवन से डायबिटीज में फायदा (Kutaj Helps in Control Diabetes)
कुटज, रोहिणी, बहेड़ा, कैथ, शाल, छतिवन तथा कबीला के फूलों को बराबर भागों में लेकर चूर्ण बना लें। इसके 2-5 ग्राम चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से कफ तथा पित्त से होने वाले डायबिटीज में लाभ ( indrajau for diabetes)होता है।
कुटज के फूल (kurchi flower) या पत्ते को चूर्ण बना लें। इसे 2-3 ग्राम मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है कुटज बीज (Kutaj Seed Helps in Fighting with Erectile dysfunction)
6 ग्राम इद्रजौ (कुटज बीज) को चार पहर (करीब 12 घंटे) भैंस के दूध में भिगोकर रखे। इसे पीसकर, इंद्रिय पर लेपकर पट्टी बांधे। कुछ देर बाद गुनगुने जल से धो दें। कुछ दिन तक नियमित रूप से ऐसा करने से लिंग की कमजोरी दूर होती है और लिंग में तनाव आता है।
फफोले में लाभ पहुंचाता कुटज (Kutaj Bark Helps in Treating Blister)
कुटज की छाल को चावल के पानी में पीसकर लेप करें। इससे फफोले तथा फूसिंयों में लाभ होता है। इसकी ताजी छाल का प्रयोग (inderjo uses in hindi)अधिक लाभकारी होता है।
कुटज से त्वचा रोग का इलाज (Kutaj Cures Skin Diseases)
20-30 मिली कुटज (kurchi) की छाल के काढ़ा में कठगूलर (काकोदुम्बर), विडंग, नीम की छाल, नागरमोथा, सोंठ, मरिच तथा पिप्पली का पेस्ट मिलाएं। इसे पीने से सभी प्रकार के त्वचा रोगों में लाभ होता है।